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सरकारी योजनाओं में सेंधमारी का ₹3 करोड़ का स्कैम, 70 पुलिस टीमों का ‘ऑपरेशन शटरडाउन’

सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाने वाले एक विशाल अंतर्राज्यीय साइबर फ्रॉड गिरोह का झालावाड़ पुलिस ने ऑपरेशन शटरडाउन के तहत पर्दाफाश किया है। यह देश में पहली बार हुआ है जब केंद्र और राज्य की लोक कल्याणकारी योजनाओं (PM किसान सम्मान निधि, पेंशन, मुआवजा आदि) में इतनी बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा किया गया है।
पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के नेतृत्व में 70 पुलिस टीमों ने 70 घंटे लगातार जागकर 600 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 30 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा और गिरोह के मास्टरमाइंड सहित 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
फ्रॉड का तरीका: सरकारी पैसा निकालकर 75% कमीशन
गिरोह का सरगना दौसा निवासी रामावतार सैनी, सरकारी पोर्टल (जैसे DMIS) की तकनीकी जानकारी का फायदा उठाकर अपात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाता था। वह सामान्य लोगों से बैंक खाते और पहचान दस्तावेज खरीदकर, सिस्टम को धोखा देकर राजकोष से लाखों की सहायता राशि उनके खातों में ट्रांसफर करवाता था। इस राशि में से 50% से 75% तक कमीशन सरगना और उसके एजेंट रखते थे।
पुलिस ने कैसे किया खुलासा
झालावाड़ पुलिस को 8 अगस्त को एक गोपनीय शिकायत मिली थी कि कामखेड़ा क्षेत्र में आसिक नामक व्यक्ति द्वारा सरकारी योजना में घपला किया जा रहा है। एसपी अमित कुमार ने तुरंत साइबर थाना पर शिकायत दर्ज कर कांस्टेबल रवि सेन से जांच शुरू करवाई।
1. तकनीकी साक्ष्य और डाटा विश्लेषण: कांस्टेबल रवि सेन और सुमित कुमार ने सबसे पहले संदिग्ध आसिक के मोबाइल नंबर से लिंक अनेकों बैंक खातों और संदिग्ध ट्रांजैक्शन की गहनता से जाँच की।
2. रैकेट का नेटवर्क: तकनीकी आसूचना और आस-पास के दूरस्थ इलाकों मनोहरथाना व दांगीपुरा की गोपनीय जाँच से पता चला कि यह केवल एक व्यक्ति का काम नहीं है, बल्कि अपात्र लोगों के अकाउंट खरीदकर सरकारी लाभ दिलाने का एक संगठित रैकेट है।

3. मास्टरमाइंड तक पहुंच: आसिक अली के संपर्कों की जाँच करने पर दौसा के राजुलाल सैनी और फिर बांदीकुई के रामावतार सैनी तक पुलिस पहुँची। रामावतार सैनी के बैंक खातों के स्टेटमेंट और डाटा विश्लेषण से यह साबित हुआ कि वह ही संगठित गिरोह का सरगना है, जो PM किसान निधि और DMIS पोर्टल जैसे संवेदनशील सरकारी सिस्टमों की पूरी जानकारी रखता है।
4. ऑपरेशनल प्लानिंग: एक भी आरोपी के भागने या सबूत नष्ट करने की संभावना को खत्म करने के लिए, पुलिस ने 600-700 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 3 दर्जन ठिकानों की गोपनीय पहचान की। 70 पुलिस टीमों को एक ही समय पर रेड करने के लिए जीरो ग्राउंड पर तैयार किया गया, जिससे शत-प्रतिशत सफलता प्राप्त हुई और गिरोह का पर्दाफाश हो गया।
पुलिस की 70 घंटे की महा-कार्यवाही: क्या-क्या मिला
ऑपरेशन शटरडाउन में गिरफ्तार आरोपियों के पास से ₹3 करोड़ बाजार मूल्य की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, लग्जरी वाहन और नकदी जब्त की गई। नकद राशि ₹52 लाख 69 हजार, संदिग्ध बैंक खाते (अनुमानित) 11,000 से अधिक, लग्जरी/सामान्य वाहन (कार, बाइक, ट्रैक्टर) 31, लैपटॉप/कंप्यूटर 35, प्रिंटर 16, एटीएम कार्ड 430, मोबाइल 68, सिम कार्ड 193, फिंगर स्कैनर 19, बैंक पास बुक 207, पहचान पत्र 560, अकाउंट ऑपनिग फोर्म 315, पेन ड्राइव-क्यूआर स्कैनर 5-5, सील मोहर 54, चेक बुक 96, पैन कार्ड 29, पासपोर्ट 4, राशन/जॉब कार्ड 12, स्वाइप मशीन 2 और नोट गिनने की मशीन 1।
गिरफ्तार आरोपी (ज़िलेवार विवरण)
झालावाड़ पुलिस ने दौसा, जयपुर ग्रामीण और मध्य प्रदेश तक रेड की। गिरफ्तार किए गए 30 आरोपियों के नाम और पते निम्नलिखित हैं:
जिला दौसा (4 आरोपी)
रामवतार सैनी (28) पुत्र मूलचंद सैनी, राजुलाल सैनी (30) पुत्र किशोर राम सैनी निवासी बसवा, रोहिताश सैनी पुत्र रामावतार (22) व चेतराम सैनी पुत्र छाजूराम सैनी (21) निवासी भांडारेज थाना सदर दौसा।
2. जिला झालावाड़ (24 आरोपी)
परमानन्द मीणा (32), धनराज मीणा (25), महावीर कलाल (24), हरिप्रसाद पारेता (55) निवासी अकलेरा, अंकित माली (23), कुलदीप कारपेन्टर (21), चन्द्रप्रकाश सुमन (30), बन्टी मीणा (30), सुजान लोधां (33) निवासी असनावर, सुनील कुमार साहू (27), आशिक अली (30), ललित मीणा (22), बन्टी मीणा (25) निवासी कामखेडा, रामदयाल तंवर (29), धीरप तंवर (28), बनवारी तंवर (32), शिवनारायण तंवर (25), रामबाबू तंवर (28), मुरली रैदास (36) निवासी दांगीपुरा, राजु तंवर (28), रामबाबू तंवर (23), बिहारी लाल रैदास (32) पुत्र गोतीलाल रैदास, छोटूलाल रैदास (27), बालमुकन्द रैदास (25) पुत्र गोतीलाल रैदास निवासी मनोहरथाना थाना झालावाड़।
3. जयपुर ग्रामीण और जिला राजगढ़, मध्य प्रदेश (1 आरोपी)
वासुदेव पारीक (23) निवासी दूदू, जिला जयपुर ग्रामीण और विठ्ठल तंवर (27) निवासी कालीपीठ, जिला राजगढ़ मध्यप्रदेश।

झालावाड़ पुलिस को मुखबिर का सैल्यूट
एसपी अमित कुमार ने कहा कि इस केस को क्रैक करने में साइबर सेल कांस्टेबल रवि सेन और सुमित कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उस गुमनाम मुखबिर को भी सैल्यूट किया, जिसने गोपनीय शिकायत देकर इस बड़े रैकेट को सामने लाने में मदद की।

“हमारा कर्तव्य है कि इस गिरोह को कानूनी रूप से कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएं। झालावाड़ पुलिस आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय का सिद्धांत बनाए रखेगी।”
— अमित कुमार (आईपीएस), पुलिस अधीक्षक, झालावाड़

Hind Raftar
Author: Hind Raftar

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