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अंता से भाजपा ने मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया:टिकट के नाम पर ठगी का आरोप लगाया था; प्रमोद भाया और नरेश मीणा से मुकाबला

बीजेपी ने अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर मोरपाल सुमन को प्रत्याशी बनाया है। वह बारां पंचायत समिति के प्रधान हैं।

मोरपाल की स्थानीय होने के साथ ही लो प्रोफाइल नेता की छवि है। इसके अलावा वे जातिगत समीकरण में भी फिट बैठते हैं।

लंबे मंथन के बाद मोरपाल के नाम पर पार्टी के सभी नेता एकजुट हुए, जिसके बाद उन्हें टिकट मिला है।

कांग्रेस ने यहां से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं नरेश मीणा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।

मोरपाल सुमन ने चार दिन पहले बीजेपी का टिकट दिलाने के नाम पर 38 हजार रुपए की ठगी करने का आरोप लगाया था। ठगों ने नामांकन (नॉमिनेशन) दस्तावेज तैयार करवाने का झांसा देकर रुपए खाते में ट्रांसफर करवा लिए थे।

मोरपाल सुमन ने साइबर पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद बैंक ने रकम को होल्ड करवा दिया था।

वसुंधरा के नजदीकी माने जाते हैं मोरपाल पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी भी टिकट के दावेदारों में थे। मोरपाल सुमन भी सैनी समाज से हैं। अंता के सियासी समीकरणों को देखते हुए सैनी समाज से उम्मीदवार देना जरूरी था।

बीजेपी ने इसी फीडबैक के आधार पर सैनी समाज के उम्मीदवार को टिकट दिया है। मोरपाल वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं।

माेरपाल सुमन माली, सैनी, कुशवाह, मौर्य समाज के उपाध्यक्ष और संयुक्त माली समाज के महामंत्री रह चुके हैं। संयुक्त माली महासंघ, बारां के अध्यक्ष हैं।

मोरपाल सुमन की पत्नी नटी बाई तिसाया-लिसाड़िया पंचायत की संरपच हैं।

प्रभुलाल को नहीं मिला राजे का साथ प्रभुलाल सैनी, वसुंधरा राजे का समर्थन नहीं मिलने के कारण दावेदारी में पिछड़ गए। इसके साथ ही बाहरी होने के चलते उनका विरोध था।

वहीं इस सीट से दूसरे दावेदार पूर्व जिलाध्यक्ष नंदलाल सुमन स्थानीय नेता थे। लेकिन कई बार विवादों में रहे हैं।

ऐसे में पार्टी ने साफ छवि और लो प्रोफाइल के नेता पर दांव खेला है

20 साल पुराने मामले में सजा के बाद गई थी कंवरलाल मीणा की विधायकी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थक कंवरलाल मीणा की विधायकी जाने के बाद ये सीट खाली हुई थी। कंवरलाल मीणा को एसडीएम पर पिस्टल तानने के 20 साल पुराने मामले में सजा होने के बाद मई से उनकी विधायकी खत्म कर दी गई थी। सीट खाली होने के 6 महीने के भीतर चुनाव करवाने होते हैं।

अंता में 2.27 लाख वोटर, पुनरीक्षण अभियान में 1336 वोटर बढ़े वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशन के समय अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,26,227 वोटर थे, जिसमें 1,15,982 पुरुष, 1,10,241 महिला और 4 अन्य वोटर थे। अंता में उपचुनावों की तैयारियों के लिए वोटर लिस्ट के अपडेशन अभियान में 1336 वोटर बढ़े हैं। 1 अक्टूबर को फाइनल वोटर लिस्ट का प्रकाशन हुआ था।

अब तक 7 सीटों पर उपचुनाव में 5 पर बीजेपी जीती बीजेपी सरकार बनने के बाद 7 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें बीजेपी ने 7 में से 5 सीटें जीती हैं, ज​बकि कांग्रेस ने केवल एक सीट जीती। उपचुनावों में कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को बड़ा नुकसान हुआ था।

उपचुनावों से पहले 7 में से 4 सीट कांग्रेस के पास थी। उसके पास केवल एक सीट रह गई। पिछले साल खींवसर, देवली-उनियारा, झुंझुनूं, दौसा, चौरासी, रामगढ़ और सलूंबर सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें खींवसर, देवली-उनियारा, झुंझुनूं,रामगढ़ और सलूंबर सीटों पर बीजेपी जीती।

अंता उपचुनाव की हार-जीत सरकार का पर्सेप्शन तय करेगी अंता सीट पर उपचुनाव के नतीजों से सरकार की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे पर्सेप्शन सेट होगा। अंता सीट पर अगर बीजेपी जीतती है तो इसे सरकार के काम पर जनता की मुहर के तौर पर पेश किया जाएगा। अगर बीजेपी यह सीट हार जाती है तो विपक्ष को हमलावर होने का मौका मिलेगा।

Hind Raftar
Author: Hind Raftar

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